His Excellency, Hazoor Maharaj ‘Saint Gurmeet Ram Rahim Singh Ji Insan’ descended from anami [‘Eternal Abode’] on Tuesday, August 15, 1967 in a small vicinity [Sri Gurusar Modia] of District Sri Ganganagar (Rajasthan) in the holy royal family of most revered Sardar Maghar Singh Ji and most pious mother, Mata Naseeb Kaur Ji.
Shah Mastana Ji in his last satsang (spiritual discourse) in January, 1960 had repeatedly said, "Exactly after seven years we will come again in the form of the third body (the Third Master). Sometimes people do not at once believe the words of saints, but when the said thing is proved true, then they realize its significance. Similarly, at that time no devotee could understand this statement of Shah Mastana Ji. It proved true and was realized when Huzoor Maharaj Sant Gurmeet Ram Rahim Singh Ji incarnated on 15th, August 1967, exactly after the completion of the said seven years.
His Holiness was the only child in his family. Thus His Holiness was the favourite of all and was loved by all. Deeds and activities of His Holiness from the very childhood illustrated that he was not an ordinary child. The respected parents also came to realize that their son was not a mere child but the very image of the Lord. Therefore, they never hurt him physically or verbally. The natives of the village also had come to know about the great soul. His Holiness, since childhood, was of a very kind and helping nature. His Holiness helped the poor and the needy financially and in every required way. These inborn qualities of His Holiness are a part of his personality today as well. His Holiness at the age of seven got Naam from Param Pita Shah Satnam Singh Ji at Dera Sacha Sauda, Sirsa on 31st, March 1974. In other words, one Master Saint found the other one. After getting Naam, His Holiness motivated his friends to get the same.
वचन ज्यों के त्यों सच हुए
1960 में बेपरवाह मस्ताना जी ने चोला बदलने से पहले सब सेवादारों को वचन फरमाए " असीं सात साल बाद फिर तीसरी बाडी के रूप में आएँगे " ! मस्ताना जी महारज के चोला बदलने के सात साल बाद 1967 में पूज्य हजूर पिता संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने श्री गुरुसर मोडिया में अवतार धारण किया !
एक बारगी पूजनीय शाह मस्ताना जी को किसी प्रेमी ने अर्ज की सांई जी तुंसी सेवादारों को सोना चाँदी ,नए -नए कपडे बाँटते हो ,पर संवय फटे व पेबंद वाले कपडे पहनते हो ! तब बेपरवाह शाह मस्ताना जी ने फ़रमाया " पुत्र ! फ़िक्र ना कर ,जब तीसरी बाडी में आयेंगे तो रोज़ बदल बदल कर पहना करेंगे,काल की लीद निकल देंगे" बेपरवाह शाह मस्ताना जी के वचनानुसार एंव साध संगत की इच्छानुसार रूहानी जाम के समय पूज्य हजूर पिता जी विभिन्न प्रकार की पोशाकें पहन-पहन कर इलाही वचनों को प्रत्यक्ष साबित कर रहे है!
बेपरवाह शाह मस्ताना जी मकान बनवा देते और फिर गिरवा देते तथा फिर बनवा देते! किसी प्रेमी ने सांई जी से इस बारे में अर्ज की कि सांई जी ऐसा क्यों करते हो तो सांई जी ने फ़रमाया की "पुत्र असीं तो मकान बनवाते है ,तीसी बाडी बने बनाये मकान जमीं पर उतार लिया करेगी ,प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरुरत नहीं होती सारी साध संगत जानती है की पूज्य पिता संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की रहनुमाई में केवल 17 दिनों में शाह सतनाम जी सारवजनिक हस्पताल श्री गुरुसर मोडिया का निर्माण व मात्र 45 दिनों में शाह सतनाम जी क्रिकेट स्टेडियम का तैयार होना अपने आप में हैरानी जनक बात है !
बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने शाह मस्ताना जी धाम में वचन फरमाए कि " हुन तां मौज तुहाडे विच फिर रही है ,फिर ऐसा समय आएगा जब हाथी पर चढ़े होंगे फिर दर्शन हुआ करेंगे ! पूज्य हजूर पिता जी की शाही स्टेज जिसकी ऊँचाई हाथी की ऊँचाई से भी ज्यादा है और सत्संग के समय पर पिता जी इस स्टेज को चलाकर साध संगत को दर्शन देते है और कई बाहर के सत्संगों में हजूर पिता जी हाथी पर सवार हो कर भी संगत को दर्शनों से निहाल करते हैं !
जिस जगह पर आज शाह सतनाम जी धाम है किसी समय इस जगह पर बड़े बड़े बालू रेत के टीले हुआ करते थे ! एक बार बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज नेजिया खेडा स्तिथ डेरे से वापिस सिरसा की तरफ आ रहे थे उसी दौरान उन टीलों पर रुके और वचन फरमाए "इस जगह सचखंड का नमून बनेगा , चारो तरफ बाग़ बहारें होंगी ,नेजिया से शहर तक संगत ही संगत होगी ! रूहानी वचनों की सच्चाई आज सबके सामने है ! पूज्य हजूर पिता जी ने इस जगह पर शाह सतनाम जी धाम बनवाया ! यहाँ हर तरह के फल फूल उगाये जाते है पूज्य हजूर पिता जी की रहनुमाई में आज इस जगह पर कई तरह के फलदायी व गुणकारी फल पेड़ पोधे लगाये जा रहे है जिनमे से कई तो वैज्ञानिकों की अनुसार सिर्फ ठंडी जगह पर ही संभव है पर दरबार में सारे पोधे लहलहा रहे है !
एक बार एक सेवादार ने अर्ज कि सांई जी आप हमेशा तीसरी बाडी में आने की बात करते हो तो हमें केसे पता चलेगा की तुंसी तीसरी बाडी में आये हो इस पर बेपरवाह जी ने फ़रमाया "पुत्र जब सूरज चढ़ता है तो सबको पता चलता है जब तीसरी बाडी के रूप में आयेंगे ,तूफानी रूप में काम करेंगे सच्चे सौदे की चारो और रड मच जाएगी , तो समझना असीं ही आये हाँ! आज डेरा सच्चा सौदा पूज्य पिता जी की रहनुमाई में हर छेत्र में रक्तदान ,पोधारोपन ,जरुरतमंदो की मदद के अलावा प्रतेयक मानवता भलाई के काम में पुरे विश्व में अग्रणी है !
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